अखरोट

बहुत सिंपल है घर पर अखरोट का पौधा लगाना! - Walnut plant in this way at home will get fruits in a few days

विवरण विवरण
रोपाई का सही महीना अखरोट के पौधे को अक्टूबर से दिसंबर के बीच रोपित करना चाहिए, क्योंकि ठंडे मौसम में इसकी रोपाई सर्वोत्तम होती है। ठंडे महीनों में अंकुरण बेहतर होता है।
बीज का चयन बीज: अखरोट के बीज को ताजे और पूरी तरह से विकसित फल से चुनें। इन्हें बुवाई से पहले हल्का स्क्रैच करना चाहिए ताकि अंकुरण अच्छे से हो।
मिट्टी का प्रकार अच्छी जल निकासी वाली उपजाऊ मिट्टी, जिसमें जैविक पदार्थ की अधिकता हो, सर्वोत्तम है। PH स्तर 6-7 के बीच हो तो और बेहतर है।
पानी की आवश्यकता अखरोट के पेड़ को मध्यम पानी की आवश्यकता होती है। शुरुआती समय में, जब पौधे छोटे होते हैं, तब नियमित पानी देना आवश्यक है। एक बार पौधा स्थिर हो जाए तो अधिक पानी की जरूरत नहीं होती। वर्षा के मौसम में अतिरिक्त पानी से बचाएं।
खाद की आवश्यकता पौधों को जैविक खाद जैसे गोबर की खाद, कम्पोस्ट और हरी खाद से पोषित करना चाहिए। शुरुआत में, नाइट्रोजन आधारित खाद का उपयोग करें। 1-2 वर्ष के बाद, पेड़ में पोटाश और फास्फोरस का मिश्रण देना फायदेमंद रहता है।
उर्वरक का समय 1 से 2 वर्ष: नाइट्रोजन आधारित उर्वरक का उपयोग करें। – 3 से 5 वर्ष: नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश का मिश्रण। – 6 से 7 वर्ष: संतुलित उर्वरक (NPK) का उपयोग।
पानी देने का तरीका ध्यान रखें कि पानी अच्छे से फैलकर जड़ों तक पहुंचे, लेकिन जलभराव से बचें। ड्रिप इरिगेशन या पाइप द्वारा पानी देना सबसे अच्छा तरीका है।
उर्वरक की मात्रा प्रति पेड़ 5-10 किलोग्राम गोबर की खाद प्रति वर्ष इस्तेमाल करें। इसके साथ, हर वर्ष 1 किलो नाइट्रोजन, 0.5 किलो फास्फोरस और 0.5 किलो पोटाश का उपयोग करें।
संवेदनशीलता अत्यधिक ठंडे मौसम से बचाव के लिए पेड़ को फ्रीज़िंग तापमान से बचाना चाहिए। इसे एक हल्के तापमान वाले स्थान पर उगाना चाहिए।
रोग और कीट आम तौर पर यह रोगों और कीटों से प्रभावित नहीं होता है, लेकिन अखरोट के छिलके कीट और फफूंदी से बचने के लिए फसल पर कीटनाशक का छिड़काव करें।

संक्षेप में, अखरोट के लाभ:

  1. स्वास्थ्य लाभ: अखरोट दिल की बीमारी, कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने और मस्तिष्क की सेहत के लिए अच्छा है।

  2. आर्थिक लाभ: अखरोट के उत्पादन से अच्छा मुनाफा हो सकता है, खासकर यदि एक अच्छा बाग़ लगाया जाए।

  3. दूरस्थ क्षेत्रों में उपयुक्त: ठंडे क्षेत्रों में इसका उत्पादन बेहतर होता है, जहां अन्य फसलें नहीं उगतीं।

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