| पौधे का नाम |
पारिजात/हरसिंगार (Harshingar) |
| वैज्ञानिक नाम |
Nyctanthes arbor-tristis |
| परिवार |
Oleaceae (जैस्मीन परिवार) |
| प्राकृतिक क्षेत्र |
भारत, दक्षिण एशिया |
| प्रकार |
सदाबहार झाड़ी या छोटा वृक्ष |
| ऊंचाई |
2-6 मीटर |
| पत्तियाँ |
हरी, अंडाकार, मोटे और तेज नोक वाले |
| फूल |
सफेद रंग के, नारंगी बीच वाला, शाम को खिलने वाला, सुबह झड़ने वाला |
| धूप की आवश्यकता |
पूर्ण या आंशिक धूप |
| मिट्टी |
दोमट, उपजाऊ मिट्टी, अच्छी जल निकासी वाली |
| सिंचाई |
नियमित लेकिन जलभराव से बचाएं |
| खाद और उर्वरक |
जैविक खाद और संतुलित NPK उर्वरक |
| प्रयोजन |
सजावटी पौधा, धार्मिक उपयोग, औषधीय गुण |
| फूलों की खुशबू |
मधुर और मनमोहक |
| विशेषता |
शाम को फूल खिलते हैं और सुबह झड़ जाते हैं, इसलिए इसे “रात्रि चमेली” भी कहा जाता है |
| धार्मिक महत्व |
हिंदू धर्म में विशेष पूजा में उपयोग होता है |
| रासायनिक गुण |
इसमें औषधीय गुण होते हैं, जैसे कि सूजन कम करना, बुखार को कम करना |
| औषधीय उपयोग |
पारिजात के फूलों और पत्तियों का उपयोग आयुर्वेद में होता है, खासकर बुखार, शरीर दर्द, और त्वचा समस्याओं के उपचार में |
| जड़ों का उपयोग |
जड़ों का प्रयोग काढ़ा बनाने में किया जाता है जो शरीर में ठंडक पहुँचाता है |
| बीज |
बीज छोटे और अंडाकार होते हैं, इन्हें बुवाई से नए पौधे लगाए जा सकते हैं |
| पौधे की जीवनकाल |
यह पौधा सालों तक जीवित रहता है, और अपने जीवनकाल में कई बार फूलता है |
| पत्तियों का उपयोग |
पत्तियों का प्रयोग त्वचा की समस्याओं और सिरदर्द के इलाज के लिए किया जाता है |
| फूलों का समय |
यह पौधा गर्मियों और मानसून के दौरान फूलता है, खासकर बारिश के मौसम में |
| कीट और रोग |
पारिजात को कुछ कीट, जैसे कि दीमक और एफिड्स से नुकसान हो सकता है, इसलिए नियमित रूप से निरीक्षण करें |
| सर्दी के मौसम में देखभाल |
ठंडे मौसम में पानी कम दें और पौधे को ठंड से बचाने के लिए ढक कर रखें |
| सजावट में उपयोग |
यह पौधा गार्डन, घरों और मंदिरों में सजावट के लिए बहुत लोकप्रिय है, इसके सुंदर फूल आकर्षण बढ़ाते हैं |